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Tuesday, August 20, 2024

खुदा की खुदाई, जिंदगी की पढ़ाई

 जिंदगी अभी और कितने इम्तिहान बाकी से हैं

तेरी इस पाठशाला में,  सवाल ही सवाल हैं,

हर रोज़ नए सवालों के जवाब बाकी से हैं।


जब भी सोचा है कि एक जंग जीत ली आज मैंने,

नए मोड़ पे नई चुनौतियों की एक भीड़ सी पाई है।


दो आंसू आंखों में देख ना ले कोई,

मेरी कमज़ोरी ना उन्हें समझ ले कोई,

उन्हें दुनिया से छुपाना भी मेरी एक लड़ाई है।


दूसरों की खुशी के लिए हँसु,

उनके दर्दों को मिटाने को मुस्कुराऊं,

अपने हिस्से की खुशियाँ तो जाने क्हाॅं मैंने गवांई हैं।


ऐ खुदा, ये कैसी तेरी खुदाई है,

आखिर सारी परीक्षाएं तूने क्यों, मेरे ही हिस्से में लिखवाई हैं।